खुश तो हूँ, पर ख़ामोश हूँ
मन करता है कि कुछ लिखूं, कुछ कहूँ
बाईस साल हो गए इस ज़िन्दगी को
फिर भी कुछ कमी सी है
अधूरे एहसास अक्सर कुछ बोल पड़ते हैं
जैसे मुझे कुछ बताना चाहें
मैं सुनता नहीं
मैं लोगो को कहता कि मैं खुद की सुनता हूँ
पर खुद को ढूंढ पाया नहीं
ये ज़िन्दगी चलती जाएगी,
एक साल फिर बीत जाएगा
बाईस से तेईस ज्यादा दूर नहीं
और मैं इसी आस में लिखता जाऊंगा
कि कभी ज़िन्दगी से रूबरू हो कर
कुछ लिख पाउँगा |
1 comment:
very nicely expressed...
BTW i guess its ur b'day today...and if its so then,
Many many happy returns of the day...
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