Friday, February 24, 2012

दर्द

दर्द तो बहुत हुआ था
जब तुम जुदा हुए थे 

तनहा तनहा खुद को देख कर
मैं बेचैन सा रहता था, 
यह सोच कर खुद को तसल्ली देता कि 
एक दिन तुम वापस आ जाओगे,  
जानते हुए कि ये नामुमकिन सी बात है 
पर क्या करूँ? ये दिल भी बड़ा खुद्दार है 
खुद की ख़ुशी के आगे 
सच को भी झुठला देता है 

दर्द तो बहुत हुआ था
जब तुम जुदा हुए थे 

अब दर्द कम है, जाने अनजाने में 
ज़िन्दगी खुद-ब-खुद ही चल पड़ी 
तुम्हारी आदत अब ज़रूरत नहीं रही 
और तुम्हारी ज़रूरत, एक याद बन कर 
सीने के किसी कोने में छुपी बैठी है 
हकीक़त ये है की मैं तुम्हे भूल चूका हूँ
जैसे तुम, मुझे,
है,  कि नहीं? 


दर्द तो बहुत हुआ था
जब तुम जुदा हुए थे