जब तुम जुदा हुए थे
तनहा तनहा खुद को देख कर
मैं बेचैन सा रहता था,
यह सोच कर खुद को तसल्ली देता कि
एक दिन तुम वापस आ जाओगे,
जानते हुए कि ये नामुमकिन सी बात है
पर क्या करूँ? ये दिल भी बड़ा खुद्दार है
खुद की ख़ुशी के आगे
सच को भी झुठला देता है
दर्द तो बहुत हुआ था
जब तुम जुदा हुए थे
अब दर्द कम है, जाने अनजाने में
ज़िन्दगी खुद-ब-खुद ही चल पड़ी
तुम्हारी आदत अब ज़रूरत नहीं रही
और तुम्हारी ज़रूरत, एक याद बन कर
सीने के किसी कोने में छुपी बैठी है
हकीक़त ये है की मैं तुम्हे भूल चूका हूँ
जैसे तुम, मुझे,
है, कि नहीं?
है, कि नहीं?
दर्द तो बहुत हुआ था
जब तुम जुदा हुए थे
1 comment:
आह!!!
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